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एक दिन की हड़ताल तीन हजार करोड़ गर्क

एसबीआई को छोड़ प्रदेश के सभी बैंकों में ठप रहा कामकाज

शिमला —हिमाचल के राष्ट्रीयकृत बैंकों के कर्मचारी भी अपनी मांगों को लेकर देशव्यापी आंदोलन का हिस्सा रहे। एसबीआई को छोड़कर मंगलवार को हिमाचल के सभी बैंकों में लेन-देन का कार्य ठप रहा। दो दिवसीय इस हड़ताल में हिमाचल के हजारों लिपिक वर्ग के कर्मचारियों ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला। जानकारी के अनुसार एक दिन में ही तीन हजार करोड़ का नुकसान बैंकों में आंका गया है। बुधवार को भी एसबीआई को छोड़ सभी बैंक कर्मी हड़ताल पर रहेंगे। बताया जा रहा है कि दो दिन तक बैंकों में कार्य न होने की वजह से नुकसान का आंकड़ा और बढ़ सकता है। हिमाचल प्रदेश बैंक कर्मचारी संघ के महासचिव प्रेम वर्मा ने कहा कि बैंक के हजारों कर्मी अपनी मांगों को मनवाने के लिए सड़कों पर उतरने को मजबूर हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2017 से घोषणा के बाद भी बैंक कर्मियों का वेतन नहीं बढ़ा है, जबकि केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष कर्मियों की वेतन बढ़ोतरी का आश्वासने दिया था। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन करने का एक कारण बैंकों को मर्ज करने का फैसला भी है। प्रेम वर्मा ने मांग की है कि केंद्र सरकार बैंकों को मर्ज करने का फैसला वापस ले, वहीं वेतन बढ़ोतरी की मांग भी सरकार जल्द पूरी करे। बता दें कि केंद्र सरकार के आह्वान पर प्रदेश भर के होटल मजदूर भी हड़ताल पर रहे। होटल कर्मियों के हड़ताल पर रहने के कारण पर्यटकों को भी दिक्कत हुई। बताया जा रहा है कि होटल कर्मियों के हड़ताल पर रहने से भी करोड़ों का नुकसान हुआ है। बुधवार को भी राष्ट्रव्यापी हड़ताल की वजह से बैंकों और अन्य कारोबारियों को करोड़ों की चपत लगने का अंदेशा जताया जा रहा है। इस दौरान प्रदर्शन का हिस्सा रहे सीटू नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकार के गलत निर्णयों के कारण लगभग 15 लाख मजदूरों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी परिवर्तन किए जा रहे हैं। पक्के रोजगार के बजाय आउटसोर्स, कांट्रैक्ट व पार्ट  टाइम पर नौकरियां दी जा रही हैं। सीटू नेताओं का कहना है कि उन्हें लाभकारी मूल्य नहीं दिया जा रहा है। भूमिहीनों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इस तरह देश में मजदूरों का शोषण हो रहा है। उन्होंने मांग की है कि मजदूरों का न्यूनतम वेतन 18 हज़ार रुपए किया जाए। हड़ताल के दौरान कर्मियों ने चेताया है कि अगर उनकी मांगें पूरी न हुई तो सरकार के खिलाफ उग्र आंदोलन किया जाएगा।

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