कांगड़ा —सरकार किसान को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ सुदृढ़ नीतिगत कार्यक्रम बनाए। किसान को उचित सिंचाई व्यवस्था, उच्च गुणवत्ता के बीज, बाजार में कृषि उत्पाद के उचित मूल्य मिलने की गारंटी, प्राकृतिक आपदाआें से फसल खराब होने की स्थिति में उचित भरपाई का सही इतंजाम होना चाहिए। किसान को लागत के आधार पर उसकी उपज का लाभकारी मूल्य दिया जाना चाहिए, जिससे किसानों की खेती में सुधार होगा। मंगलवार को भारतीय किसान संघ ने प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर सांकेतिक प्रदर्शन किया। इस दौरान सबंधित उपायुक्तों के माध्यम से प्रदेश सरकार को भी ज्ञापन भेजा गया। संघ के प्रदेशाध्यक्ष सोमदेव शर्मा ने आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले कई दशकों से सरकारें किसानों की समस्या का समाधान न कर राजनीतिक, अफसरशाही तथा बाजारी बिचौलियों की सोच व नीति किसान पर थोंपती आई है। उन्होंने कहा कि इससे किसानों की आर्थिक व सामाजिक दशा सुधरने के बजाय खेती करना एक जोखिम भरा व्यवसाय बन चुका है। उन्होंने कहा कि सरकार कई योजनाएं बनाती है, लेकिन इसका लाभ किसानों को नहीं मिल पाता। किसान अन्नदाता होने के बावजूद अपने परिवार के भरण-पोषण करने में असमर्थ हो रहा है। वहीं, युवा वर्ग भी खेती छोड़ शहरों में मजदूरी करना बेहतर समझ रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसान को मजबूरन साहूकारों और बैंकों से कर्जा लेना पड़ रहा है, लेकिन प्राकृतिक आपदाआें तथा बाजार में बिचौलियों के शोषण के चलते कर्जा चुकाने में असमर्थ हो रहा है। उन्होंने कहा कि कर्जा माफी किसान की समस्या का स्थायी समाधान नहीं है। इसका समाधान किसान की स्थिति में सुधार लाना है, जिससे कि वह आसानी से कर्जा वापस कर सकें। किसान को आत्मनिर्भर बनाने के लिए योजनाबद्ध तरीके से कार्य किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्पादन लागत कम करने के लिए रकबे के हिसाब से एक निश्चित राशि उत्पादन के रूप में सीधे किसान के खाते में प्रतिवर्ष दी जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार को इन्हीं मांगों को लेकर मंगलवार को भारतीय किसान संघ ने उपायुक्त के माध्यम से प्रदेश सरकार को ज्ञापन भेजा है।
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