हिमाचल प्रदेश में वन क्षेत्र 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 35 प्रतिशत करना राज्य सरकार का लक्ष्य है. यह बात वन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने मंगलवार को शिमला में जापान सरकार द्वारा वित्त पोषित हिमाचल प्रदेश वन पारितंत्र प्रबंधन और आजीविका सुधार परियोजना पर एक कार्यशाला में कही.
वन मंत्री ने कहा कि वन क्षेत्र को बढ़ाने के लिए सबसे पहले वनों को बचाना आवश्यक है. वन कटान को कम करना जहां राज्य सरकार की प्राथमिकता है, वहीं जंगलों को आग से बचाने की दिशा में भी राज्य सरकार अनेकों कदम उठा रही है. लेकिन लोगों की सहभागिता के बिना यह कार्य पूरा नहीं हो सकता.
गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि जगलों में लगने वाली आग की दृष्टि से अति संवेदनशील जगहों पर ज्यादा से ज्यादा लोगों को स्वयंसेवक के तौर पर जोड़ा जाना चाहिए. जंगल को आग से बचाने के लिए वन विभाग ने एक मोबाइल एप भी विकसित की है, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं.
परियोजना के बारे में बात करते हुए वन मंत्री ने कहा कि जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी यानी जाइका की ये परियोजना 800 करोड़ रुपए की है, जो वर्ष 2018 से लेकर 2028 तक 10 वर्षों के लिए है. इस योजना का उद्देश्य वनों का बेहतर प्रबंधन करना है ताकि वनों में वृद्धि हो और समुदाय की आजीविका में सुधार हो सके.
गोविंद सिंह ठाकुर ने बताया कि तीन चरण में लागू होने वाली जाइका की यह परियोजना किन्नौर, शिमला, बिलासपुर, मंडी, कुल्लू और लाहौल स्पिति जिलों में कार्यान्वित की जा रही है. इस परियोजना के लिए भारत और जापान के बीच 29 मार्च 2018 को टोक्यो में हस्ताक्षर हुए थे और मित्र देश के तौर पर जापान में कई नई परियोजनाएं लाने को उत्सुक है.
वन मंत्री ने कहा कि बरसात के मौसम में हिमाचल प्रदेश में रिकॉर्ड 17 लाख पौधे लगाए गए और रोपे गए पौधों को बचाने के लिए बाड़ भी लगाई गई. इतने बड़े अभियान को सफल बनाने में करीब 90 हजार लोगों ने सहयोग दिया. अब सर्दी के मौसम में भी पौधे लगाने की तैयारी की जा रही है. इसके लिए अच्छी नर्सरी होनी चाहिए.