शराब ठेकों और टोल बैरियर नीलामी को चुनाव आयोग से नहीं मिली अनुमति, 01 अप्रैल से प्रतिदिन होगा 4.38 करोड़ का नुकसान
Solan : चुनाव आचार संहिता की वजह से हिमाचल प्रदेश में 1600 करोड़ रुपये का राजस्व संकट में पड़ गया है। प्रदेश आबकारी एवं कराधान विभाग ने चुनाव आयोग से शराब के ठेके तथा टोल बैरियर की नीलामी के लिए अनुमति मांगी थी।
मार्च माह बीतने वाला है। अभी तक आयोग से अनुमति नहीं मिली है। यदि 31 मार्च से पहले टोल बैरियर व शराब के ठेके नीलाम नहीं होते हैं तो प्रदेश सरकार को प्रतिदिन 4.38 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। जानकारी के अनुसार हिमाचल प्रदेश में प्रत्येक वर्ष टोल बैरियर व शराब के ठेकों की निलामी प्रक्रिया मार्च माह के पहले सप्ताह में शुरू हो जाती है। सरकार को प्रदेश के 55 टोल बैरियर से करीब 100 करोड़ रुपये की आय होती है, जबकि शराब के ठेकों की नीलामी से करीब 1500 करोड़ रुपये का राजस्व सरकारी खजाने में जमा होता है।
शराब के ठेकों की प्रकिया में एक माह तक का समय लग जाता है। आबकारी एवं कराधान विभाग द्वारा पहले उन्हीं ठेकेदारों को मौका दिया जाता है, जिसके पास वर्तमान में शराब के ठेके होते हैं। बीस प्रतिशत बढ़ोत्तरी करके सरकार पुराने लाइसेंस ही रिन्यू कर देती है। हालांकि दो प्रतिशत अतिरिक्त रिन्यूवल फीस देनी होती है। यदि ठेकेदार लाइसेंस रिन्यू नहीं करवाता है तो ऐसी स्थिति में लक्की ड्रा के माध्यम से ठेकों की नीलामी की जाती है। इस पूरी प्रक्रिया को 31 मार्च से पहले संपन्न करना होता है, ताकि एक अप्रैल से नया ठेकेदार काम को सुचारू रूप से शुरू कर सके।
20 को होनी थी नीलामी
जानकारी के अनुसार प्रदेश आबकारी एवं कराधान विभाग द्वारा बीस मार्च को टोल बैरियर व शराब के ठेकों की नीलामी रखी थी, लेकिन चुनाव आयोग ने नीलामी प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। इसके बाद विभाग ने नीलामी प्रक्रिया शुरू करने के लिए आयोग से अनुमति मांगी थी। फिलहाल अभी तक अनुमति नहीं मिल पाई है। यदि टोल बैरियर व शराब के ठेकों को निलामी किए जाने की अनुमति नहीं मिलती तो प्रदेश सरकार को प्रतिदिन राजस्व के रूप में करोड़ों रुपये का नुकसान एक अप्रैल के बाद हो सकता है।
“शराब ठेकों व टोल बैरियर की नीलामी के लिए चुनाव आयोग से अनुमति मांगी गई है। फिलहाल अनुमति नहीं मिल पाई है।”
-रोहित चौहान, संयुक्त आयुक्त, आबकारी एवं कराधान विभाग