देश कांग्रेस में घमासान के बीच और लोकसभा चुनाव से ऐन पहले अध्यक्ष पद संभालने वाले कुलदीप सिंह राठौर के सामने कई चुनौतियां हैं। इनसे पार पाने के लिए राठौर नई रणनीति पर काम भी कर रहे हैं।
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर ऐसे समय में पद संभाले हैं, जब लोकसभा चुनाव करीब हैं। पदभार संभालते ही प्रदेश कांग्रेस नेताओं के समर्थकों में मारपीट तक हुई। मामला पुुलिस में दर्ज हुआ है। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू में घमासान जारी है। इस पर हाईकमान ने बेलगाम नेताओं पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। ऐसी स्थिति में नए प्रदेशाध्यक्ष के समक्ष कई चुनौतियां है।
गुटबाजी पर चेतावनी के बावजूद कार्रवाई क्यों नहीं की? क्या लोकसभा चुनाव के बाद करेंगे? हाईकमान के आदेश के बाद एडवाइजरी जारी कर दी है। अब अगर किसी ने एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी की तो उसके खिलाफ तुरंत अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए अनुशासन समिति बनाई गई है, जो ऐसे बेलगाम नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करेगी।
सुक्खू के लिए सख्त, वीरभद्र के लिए साफ्ट क्यों हैं आप?
मेरा किसी के लिए साफ्ट कार्नर नहीं है। पार्टी के सभी छोटे-बड़े नेता को एकही लाठी से हांका जाएगा। अनुशासन तोड़ने की किसी को अनुमति नहीं है। पार्टी का नेता चाहे कितना भी कद्दावर क्यों न हो, उसे पार्टी के नियमों का पालन करना पड़ेगा।
पिछले चुनाव में चारों सीटें हारे, पार्टी में लड़ाई यूं ही रही तो कैसे चुनाव जीतेंगे?
राहुल गांधी ने मुझे अध्यक्ष बनाया है और लोकसभा चुनाव जीतना एक चुनौती है। पार्टी से मैं लंबे समय तक जुड़ा रहा हूं। सटीक रणनीति के तहत काम किया जा रहा है। पार्टी दफ्तर में नहीं बल्कि फील्ड में जाकर तैयारी की जा रही है।
भाजपा से ज्यादा कांग्रेस में गुटबाजी मुखर है, क्या प्रदेश में सर्वमान्य नेता का संकट है?
कांग्रेस में सर्वमान्य नेता का कोई संकट नहीं है। हाईकमान जिसके हाथ में बागडोर थमाता है, उसे पार्टी के सभी नेता और कार्यकर्ता पूरा सम्मान देते हैं। कांग्रेस में ये मतभेद आपस में बैठकर दूर कर दिए जाते हैं।