हिमाचल प्रदेश पर्यटन विभाग की नई वेबसाइट लॉन्च होने जा रही है। वेबसाइट तैयार हो गई है, जिसमें एडवेंचर टूरिज्म के शौकीनों को पर्यटक स्थलों की सही जानकारी मिलेगी। पैराग्लाइडिंग की ऑनलाइन मॉनिटरिंग करना संभव होगा। यह वेबसाइट कोर्ट के निर्देशों पर तैयार की जा रही है, जिसमें एडवेंचर टूरिज्म, ट्रैवल एजेंट, टूर ऑपरेटर या गाइड की जानकारी ऑनलाइन अपलोड होगी। ऐसे में वेबसाइट डेवलपर इन दिनों प्रदेशभर के जिला पर्यटन अधिकारियों समेत स्टेक होल्डर के सुझाव ले रहे हैं।
वेबसाइट को 3 हिस्सों में डिवाइड किया गया है। ट्रांसपोर्टेशन, होटल्स और एडवेंचर टूरिज्म को शामिल करके सारी जानकारियां अपलोड की जाएंगी। इसमें प्रमुख है एडवेंचर टूरिज्म, जिसमें पैराग्लाइडिंग को प्रमुखता से रखा गया है। पिछले कुछ सालों में सोलो पैराग्लाइडिंग या टेंडम पैराग्लाइडिंग में हो रहे हादसों को देख हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया और प्रदेश सरकार को सुरक्षा के मामले में उचित कदम उठाने के निर्देश दिए, जिसके चलते पर्यटन विभाग के डायरेक्टर के आदेशों पर वेबसाइट तैयार की जा रही है।
इसके अतिरिक्त जिला कांगड़ा प्रशासन NIC के सहयोग से माई कांगड़ा ऐप तैयार कर रहा है। पैराग्लाइडिंग पायलट को भी वेबसाइट पर सभी जानकारियां अपलोड करनी होंगी। इसके बाद एक क्यूआर कोड जनरेट होगा। पैराग्लाइडिंग की टेक ऑफ साइट पर पर्यटन विभाग द्वारा तैनात मार्शल इस क्यूआर कोड को स्कैन करने बाद ही पैराग्लाइडिंग पायलट को सोलो या टेंडम फ्लाइट करने की अनुमति मिलेगी।
इसके लिए धर्मशाला में DC कार्यालय में ADC कांगड़ा सौरभ जस्सल की अध्यक्षता में हुई बैठक में जिलेभर से आए विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों और पर्यटन व्यवसायियों ने भाग लिया। पर्यटन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर विनय धीमान ने कहा कि पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए डेडिकेटेड और इन्फोर्मेटिव विभाग द्वारा तैयार वेबसाइट की प्रेजेंटेशन रखी थी, जिसमें स्टेकहोल्डर ने अपने सुझाव दिए हैं।
टेक ऑफ साइट पर मोबाइल सिग्नल नहीं
बैठक में वेबसाइट की प्रेजेंटेशन देखने के बाद पैराग्लाइडिंग पायलट एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने वेबसाइट को नहीं बनाने का तर्क दिया। पैराग्लाइडिंग एसोसिएशन पहले से ही काम कर रही है। यहां तक कि बीड़-बिलिंग पैराग्लाइडिंग टेक ऑफ साइट पर किसी भी दूरसंचार कंपनी का सिग्नल नहीं है और न ही बिजली पानी का कनेक्शन है। ऐसे में मार्शल क्यूआर कोड कैसे स्कैन करेंगे और टेक ऑफ साइट पर कोई टूरिस्ट उड़ान भरना चाहता है तो पहले वह ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाने 18 किलोमीटर बीड़ जाएगा और उसके बाद ही उड़ान भर सकेगा।
बीड़ बिलिंग में 600 पैराग्लाइडिंग पायलट
बीड़ बिलिंग घाटी में लगभग 500 से 600 युवा लाइसेंस होल्डर पैराग्लाइडिंग पायलट हैं, जो प्रतिदन पर्यटकों को टेंडम प्लाइट्स करवाकर अपनी रोजी-रोटी चला रहे हैं। बीड बिलिंग के युवाओं के अतिरिक्त यहां की युवतियां भी कई बार मानवपरिंदों के रूप में धौलाधार की पहाड़ियों को नाप चुकी हैं। बीड़ बिलिंग घाटी में देश-विदेश के लोगों का पैराग्लाइडिंग सिखाने का कार्य भी हो रहा है।
जरायली पायलट ने 1982 में खोजी थी बिलिंग साइट
समुद्र तल से लगभग 2290 मीटर की उंचाई पर स्थित बिलिंग की खोज इजरायली पायलट ने की थी। वर्ष 1982 में हैंगग्लाइडिंग के रूप में आरंभ यह खेल समय के साथ-साथ पैराग्लाइडिंग में परिवर्तित हुआ और पूरे क्षेत्र की खुशहाली और उन्नति का माध्यम बना। लोग आर्थिक रूप में सुदृढ़ होकर अब रोजगार देने की स्थिति में हैं।
प्रदेश सरकार ने बीड बिलिंग घाटी में साहासिक खेलों को बढ़ावा देने के लिए पैराग्लाइडिंग आरंभ करवाई। यहां पैराग्लाइडिंग को बढ़ावा देने के लिए समय-समय राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के आयोजन से दुनियाभर से पैराग्लाइडिंग के शौकीन और पर्यटक यहां आने लगे।
बीड़ से बिलिंग तक होगा रोपवे का निर्माण
मुख्य संसदीय सचिव एवं बैजनाथ के विधायक किशोरी लाल ने कहा कि पैराग्लाडिंग से बैजनाथ क्षेत्र को विश्व में पहचान मिली है। यहां खिलाड़ियों और पर्यटकों को और अधिक सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए सरकार प्रयास कर रही है। पैराग्लाडिंग से इस क्षेत्र का तेजी से विकास हुआ है और लोग आर्थिक रूप में सुदृढ़ हुए हैं।
उन्होंने बताया कि विधायक प्राथमिकता बैठक में बिलिंग तक रोपवे निर्माण का प्रस्ताव दिया गया है। विशेषज्ञों की राय के बाद अगर संभव हुआ तथा पैराग्लाडिंग के लिए कोई बाधा उत्पन्न नहीं हुई तो रोपवे लगवाने का भी प्रयास किया जाएगा, ताकि साहसिक खेलों के अतिरिक्त पर्यटन को और बढ़ावा मिले।