जितेंद्र यादव, इंदौर। वह जन्म से ही मूक-बधिर हैं, लेकिन इस कुदरती कमतरी को उसने कभी लाचारी नहीं बनने दिया। आज वह युवा मतदाताओं की आईकॉन है और देश और समाज के लिए कुछ अलग करने का जज्बा रखती है। हम बात कर रहे हैं 21 साल की देशना जैन की।
भारत निर्वाचन आयोग की यूथ आईकॉन बनकर देशना ने मप्र विधानसभा चुनाव में मतदाताओं को जागरूक करने के कई वीडियो बनाए। 2018 में वह ताईवान में मूक-बधिर सौंदर्य प्रतियोगिता में मिस एशिया चुनी गई थीं।
गणतंत्र दिवस पर इंदौर जिला प्रशासन देशना को सम्मानित करेगा। देशना कहती हैं- लोगों की अपनी भाषा होती है, जिसे हम समझ नहीं पाते, तो हम मूक-बधिरों की भी भाषा होती है साइन लैंग्वेज, जिसे सामान्य लोग समझ नहीं सकते।
अपनी मां दिव्या जैन के जरिए देशना बताती हैं- सरकारी दफ्तरों व डॉक्टर के पास जब हम जाते हैं तो अपनी बात समझा नहीं पाते। उस समय हमें साइन लैंग्वेज जानने वाले की जरूरत होती है। सरकार को चाहिए कि हर दफ्तर में एक साइन लैंग्वेज जानने वाला रखे।