जिला कांगड़ा के नगरोटा बगवां के तहत बाबा बड़ोह में रविवार को जनमंच कार्यक्रम शुरू हुए अभी कुछ ही समय निकला था कि मंच पर उद्योग मंत्री बिक्रम ङ्क्षसह ठाकुर ने माइक संभाल लिया। स्वच्छता अभियान को लेकर जमीनी स्तर पर कितना कार्य हुआ, जब इस संबंध में अधिकारियों से जानकारी मांगी तो संतोषजनक जवाब देने में सभी नाकाम साबित हुए।
शिक्षा विभाग का जवाब केवल मात्र विद्यार्थियों की रैली तक सीमित था, लोक निर्माण विभाग केवल मात्र अतिक्रमण हटाना जबकि खंड विकास अधिकारी के पास भी कोई संतोषजनक रिपोर्ट न मिलने पर उद्योग मंत्री बिफर पड़े। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का स्वच्छता के प्रति देखा गया सपना पूरा करना सभी विभागों के अधिकारियों का नैतिक कर्तव्य बन जाता है बावजूद उसके केवल मात्र इस कार्यक्रम को फाइलों तक ही सीमित रखा जा रहा है। अधिकारियों की क्लास लेने के बाद जनमंच कार्यक्रम आरंभ हुआ।
इस दौरान मामला आया कि थाना बरगा पंचायत से शहीद हुए सैनिक अनिल कुमार, जिन्हें शौर्य चक्र से भी नवाजा गया है के नाम पर स्कूल का नाम रखने का मामला उठा। अनिल कुमार 25 सितंबर 2012 को जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों के साथ लोहा लेते हुए शहीद हो गए थे परंतु सात साल से स्कूल का नाम शहीद के नाम पर रखने में कोई कार्रवाई न होने पर उन्होंने शिक्षा विभाग को तेजी से कार्य करने के निर्देश दिए।
जसाई पंचायत की रीना देवी जो शौचालय बनाने में असमर्थ थी के संबंध में बिक्रम ठाकुर ने उपायुक्त को निर्देश दिए कि विधवा के घर में शौचालय का निर्माण किसी भी योजना के तहत करवाया जाए। दनोआ के विनोद कुमार लोक निर्माण विभाग की कार्यशैली नाराज थे। इस कारण उन्होंने ठेकेदारी करना ही छोड़ दी। उद्योग मंत्री के सामने सात साल से विभाग द्वारा भुगतान न किए जाने की बात रखी और गुहार लगाई।
चंद्ररोट की रूपा देवी जो बीमारी के कारण दवाइयों का खर्च उठाने में असमर्थ थी और विभाग के चक्कर लगा कर थक गई थी, इस पर ठाकुर ने एसडीएम को तुरंत दवाईयों के पैसे प्रदान करने की बात कही तथा अन्य बिलों का भुगतान भी मुख्यमंत्री राहत कोष के माध्यम से करवाने का आश्वासन दिया गया। इंद्रमणि का इतना कसूर था कि वह जनरल कैटागिरी से थी परंतु न तो खाने को रोटी और न ही सर पर छत है, इस पर उद्योग मंत्री ने उसी समय उपायुक्त कांगड़ा को निर्देश जारी किए कि वास्तव में गरीब होने के बावजूद मुख्यमंत्री आवास योजना में शामिल किया जाए। कार्यक्रम के दौरान जो बुजुर्ग मंच तक पहुंचने में असहाय नजर आए तो बिक्रम ठाकुर स्वयं मच से उतर कर उनके पास पहुंचे तथा शिकायत सुनकर निवारण किया।