Himachal Pradesh हिमाचल में नए मुख्यमंत्री की शपथ ग्रहण के बाद जल्द ही मंत्रिमंडल का भी एलान किया जाएगा। इस मंत्रिमंडल में कई नए चेहरों को जगह मिल सकती है। प्रदेश का सबसे बड़ा जिला होने के कारण कांगड़ा से चार नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह मिलने की संभावना रहेगी।
हिमाचल के नई सरकार के शपथ ग्रहण के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के मंत्रिमंडल में कौन-कौन से चेहरे शामिल होंगे, इस पर सबकी नजर है। माना जा रहा है कि इस बार नए चेहरों को अवसर मिल सकता है। राजनीतिक गलियारों में संभावित मंत्रिमंडल को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। तय है कि मंत्रिमंडल विस्तार में सुक्खू, मुकेश और प्रतिभा की पसंद का समावेश रहेगा।
विक्रमादित्य सिंह को पसंद विभाग मिलना तय!
कांग्रेस के तीनों प्रमुख नेता चाहेंगे कि सरकार में उनके विश्वासपात्रों को प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो। प्रतिभा सिंह के मुख्यमंत्री पद की दौड़ से बाहर होने के बाद विक्रमादित्य सिंह को पसंद का विभाग मिलना तय माना जा रहा है। उसके बाद सुक्खू और मुकेश की पसंद के विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह दिलाने पर खींचतान हो सकती है।
ये रहेगा संभावित मंत्रिमंडल
मुख्यमंत्री व उप मुख्यमंत्री के शपथ लेने के बाद मंत्रिमंडल में 10 पद भरे जाने हैं। प्रदेश का सबसे बड़ा जिला होने के कारण कांगड़ा से चार नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह मिलने की संभावना रहेगी। उसके बाद शिमला जिला से दो विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है। सिरमौर, किन्नौर, सोलन, बिलासपुर से एक-एक विधायक को प्रतिनिधित्व दिया जा सकता है। मुख्यमंत्री सुक्खू स्वयं हमीरपुर जिला से हैं तो दूसरे को जगह मिलना सरल नहीं होगा। इसी तरह से उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ऊना का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं तो दूसरे के लिए संभावना कम है।
- चंद्र कुमार, जवाली
- सुधीर शर्मा, धर्मशाला
- आशीष बुटेल, पालमपुर
- हर्षवर्धन चौहान, शिलाई
- धनीराम शांडिल, सोलन
- विक्रमादित्य, शिमला ग्रामीण
- रोहित, जुब्बल-कोटखाई
- अनिरूद्ध सिंह, कसुम्पटी
- राजेश धर्माणी, घुमारवीं
- सुंदर सिंह ठाकुर, कुल्लू
- जगत सिंह नेगी, किन्नौर
- कुलदीप राठौर, ठियोग
- नीरज नैयर, चंबा
शांडिल और राठौर हो सकते हैं विधानसभा अध्यक्ष-उपाध्यक्ष
सोलन जिला से कर्नल धनीराम शांडिल विधानसभा अध्यक्ष नामित किए जा सकते हैं। पहली बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे कुलदीप सिंह राठौर को विधानसभा उपाध्यक्ष बनाया जा सकता है। उनकी दस जनपथ में अच्छी पैठ है। एक दशक के दौरान विधानसभा अध्यक्ष का पद कांगड़ा जिला के पास रहा।
मंत्रिमंडल में जातीय व क्षेत्रीय संतुलन बनाने पर नजर
कांग्रेस ने राजपूत को मुख्यमंत्री और ब्राह्मण को उपमुख्यमंत्री बनाकर हिमाचल की 50 प्रतिशत आबादी को साधा है। अब मंत्रिमंडल में क्षेत्रीय और संसदीय संतुलन को साधने का प्रयास किया जाएगा। प्रदेश की आबादी में 32.72 प्रतिशत राजपूत समुदाय है। 18 प्रतिशत ब्राह्मण आबादी है। इनके अलावा अनुसूचित जाति 25.25, अनुसूचित जनजाति की 5.1 और ओबीसी की आबादी 13.52 प्रतिशत है। कांग्रेस ने 50 प्रतिशत आबादी को तो साध लिया है, अब बेहतर जातीय समीकरण बनाते हुए प्रत्येक समुदाय को मंत्रिमंडल में स्थान देने का प्रयास किया जाएगा। इसी तरह जिला और संसदीय क्षेत्र के आधार पर भी समीकरण बनाने होंगे।
हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री बनाए
कांग्रेस ने हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री बनाए हैं। अब शिमला, कांगड़ा और मंडी संसदीय क्षेत्रों में संतुलन बनाना होगा। इस बार भले ही मंडी संसदीय से काफी कम सीटें कांग्रेस को मिली हैं। इसके बावजूद क्षेत्रीय और राजनीतिक संतुलन बैठाने के लिए स्थान देना होगा। प्रदेश की राजनीति में कांगड़ा का अहम स्थान है। माना जा रहा है कि इस जिला को बड़ा मंत्री पद मिलेगा। शिमला संसदीय क्षेत्र अब तक कांग्रेस की सरकार में बड़े पद के बिना नहीं रहा है। वीरभद्र सिंह के जिला को स्थान मिलना तय माना जा रहा है। 40 साल में पहली बार हुआ है कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी हो और मुख्यमंत्री शिमला जिला से न हो।