National Poltics

Upper Caste Reservation: सवर्णों को 10% आरक्षण के संविधान संशोधन बिल को SC में चुनौती

सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए शिक्षा और नौकरियों में 10 फीसद आरक्षण के संविधान संशोधन विधेयक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। यूथ फॉर इक्वैलिटी ने संविधान संशोधन को चुनौती देते हुए याचिका में कहा है कि यह संशोधन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है और आर्थिक आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कानून रद करने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि आर्थिक आरक्षण का प्रावधान करने वाला संसद से पास बिल सुप्रीम कोर्ट के पूर्व फ़ैसले का उल्लंघन करता है। यूथ फॉर इक्‍वालिटी दायर याचिका में इन्दिरा साहनी फ़ैसले का हवाला देकर कहा गया है कि सिर्फ आर्थिक आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता। ये असंवैधानिक है।इससे पहले बुधवार को सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर तबकों को सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में 10 फीसद आरक्षण पर राज्‍यसभा में भी मुहर लग गई। लोकसभा के बाद राज्यसभा ने भी बुधवार को सामान्य वर्ग के गरीबों के आरक्षण संबंधी 124वें संविधान संशोधन विधेयक को पारित कर दिया।

राज्यसभा ने 7 के मुकाबले 165 मतों से सवर्ण गरीबों को आरक्षण देने संबंधी संविधान संशोधन विधेयक को पारित किया। यह संशोधन संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 के तहत किया गया है और इसीलिए इसे राज्यों की विधानसभा से पारित कराने की जरूरत नहीं होगी। अब केवल राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद 10 फीसद आरक्षण की यह व्यवस्था लागू हो जाएगी।

राज्यसभा ने आरक्षण संबंधी संविधान संबंधी इस बिल को पारित करने से पहले इसे सिलेक्ट कमिटी में भेजने की द्रमुक सांसद कनीमोरी के प्रस्ताव को भी 18 के मुकाबले 155 मतों से खारिज कर दिया। राज्यसभा में आठ घंटे तक बिल पर हुई मैराथन चर्चा का जवाब देते हुए सामाजिक न्याय मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि सामान्य वर्ग के गरीबी लोगों को इसके जरिए सरकारी नौकरियों और शिक्षण में संस्थानों आरक्षण का लाभ मिलेगा।

बिल को ऐतिहासिक बताते हुए उन्होंने कहा कि सरकार की इसको लेकर यह गंभीरता ही रही कि संविधान संशोधन के जरिये आरक्षण का यह प्रावधान किया जा रहा है। इसीलिए उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट भी संविधान संशोधन की इस प्रक्रिया को मान्य करेगा। आर्थिक रुप से कमजोर तबकों का ख्याल रखने की पंडित जवाहर लाल नेहरू की संविधान सभा में कही गई बात का आनंद शर्मा की ओर से किए गए उल्लेख का जवाब देते हुए गहलोत ने कहा कि यह भारत की परंपरा रही है। अगड़ी जाति के हमारे नेताओं ने दलित-आदिवासी और पिछड़ों को आरक्षण दिया। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए पिछड़े समुदाय से होने के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगड़ी जाति के गरीबों के लिए आरक्षण किया है। इस 10 फीसद आरक्षण में बड़ी आबादी के आने को लेकर उठाए गए सदस्यों के सवालों और आंकड़ों को गैरवाजिब बताते हुए गहलोत ने स्पष्ट किया कि केवल सामान्य वर्ग के गरीबों को ही यह आरक्षण मिलेगा।

Related posts

Lok Sabha Election 2019: कौन सुनेगा, किसको सुनाएं इसलिए चुप रहते हैं…

digitalhimachal

लोकसभा चुनाव: राणा का चुनाव लड़ने से इंकार, रामलाल को फिर बुलाया दिल्ली

digitalhimachal

राफेल के पेपर-दाम सब गायब मोदी सरकार ने माना कि रक्षा मंत्रालय से उनके कुछ कागज चोरी हो गए

digitalhimachal

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More

Privacy & Cookies Policy